Delhi News लोक निर्माण विभाग ने डेटा सिस्टम में लोड करना शुरू कर दिया है यह कार्य अगले कुछ दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।
यह व्यवस्था दो साल से तैयार है मगर कोरोना के कारण शुरू नहीं हो पाई थी।अब जल्द ही अभिभावक अपने मोबाइल पर स्कूल में अपने बच्चे की गतिविधियां देख सकेंगे।

दिल्ली सरकार अगले माह से यह व्यवस्था सभी सरकारी स्कूलों में शुरू करने जा रही है। सरकार के निर्देश पर स्कूलों ने योजना पर काम कर रहे लोक निर्माण विभाग को अभिभावकों
का डेटा उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है।करीब आधे स्कूलों का डेटा विभाग को मिल चुका है।सुरक्षा के लिहाज से अभिभावकों से यह लिखित में लिया जा रहा है कि बच्चों को
स्कूल में पढ़ता देखने की जो सुविधा उन्हें दी जा रही है वे इसका दुरुपयोग नहीं करेंगे।लोक निर्माण विभाग ने डेटा सिस्टम में लोड करना शुरू कर दिया है,

यह कार्य अगले कुछ दिनों में पूरा कर लिया जाएगा।यह व्यवस्था दो साल से तैयार है, मगर कोरोना के कारण शुरू नहीं हो पाई थी।योजना के अनुसार दिल्ली सरकार के स्कूलों में
पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावक ट्रायल पूरा होने के बाद अब अगस्त से नियमित तौर पर अपने बच्चों को स्कूल में पढ़ते हुए मोबाइल पर देख सकेंगे।
लोक निर्माण विभाग ने 574 स्कूलों के भवनों में 105797 सीसीटीवी कैमरे लगा दिए हैं। बाकी बचे 154 स्कूलों में निर्माण कार्य पूरा होते ही सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे।

ग्रीष्म अवकाश के बाद जुलाई से इस सुविधा को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। दिल्ली सरकार ने वर्ष 2019 में छात्र-छात्राओं की सुरक्षा के मद्देनजर अपने सभी
728 स्कूलों की इमारतों में 597 करोड़ रुपये की लागत से 1,46,800 सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्णय लिया था।लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते इस काम में देरी हुई है
कैमरों को लगाने वाली कंपनी ही पांच वर्ष के लिए मेंटिनेंस की जिम्मेदारी संभालेगी।कैमरे इस तरह लगाए गए हैं कि स्कूलों की पूरी चारदीवारी कैमरों की जद में है।

सभी कक्षाओं में कैमरे लगने के बाद प्रधानाध्यापक के कक्ष में एलईडी स्क्रीन पर प्रत्येक क्लास रूम की स्थिति को देखने का प्रबंध किया गया है।
हर स्कूल के क्लासरूम में तीन सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए हैं।दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले हर स्कूल के क्लास में लगे
सीसीटीवी कैमरे का नियंत्रण दिल्ली सरकार के आइटी और शिक्षा विभाग के पास होगा।
सरकार एक मोबाइल एप के जरिए हर अभिभावक को उनके बच्चों की क्लास और रोल नंबर के आधार पर एक विशेष एक्सेस मुहैया कराएगी।

अभिभावक इस मोबाइल एप के जरिए सिर्फ अपने बच्चे की क्लास का सीसीटीवी फुटेज लाइव देख पाएंगे।अभिभावकों को जल्द ही पासवर्ड मिलना शुरू हो जाएगा।
सरकार की योजना नवंबर तक सभी 1028 स्कूलों में यह सुविधा उपलब्ध कराने की है।
परियोजना के मुख्य बिंदु 597.51 करोड़ रूपये की लागत की परियोजना 384.85 करोड़ में सीसीटीवी कैमरों की खरीद 57.69 करोड़ रुपये पांच वर्ष के लिए मेंटिनेंस पर खर्च होगा 154.97 करोड़ रुपये
इंटरनेट पर होंगे खर्च कैमरों की मानिटरिंग के लिए केंद्रीयकृत कमांड सेंटर होगा सिस्टम में खराबी होने पर तुरंत दुरुस्त करने
की व्यवस्था होगी- हाई स्पीड इंटरनेट कनेक्शन होगा। स्कूल स्तर पर 30 दिनों तक वीडियो फुटेज उपलब्ध रहेगी।